Thursday, May 29, 2014

अथ श्री प्रेम कथा

आज कुछ पुराने पन्नो को पलटने बैठा तो जेहन में फिर से कुछ यादे ताज़ा  हो गयी.  फिर से वो वक़्त याद आया जब दोस्तों के बीच महफ़िल में केवल एक ही मुद्दा होता है और वो है मोहब्बत ........... वो वक़्त जब चेहरे के रोये कब दाढ़ी में अख्तियार हो गए ................. वो बेतरतीब बाल जो सीसे के सामने देर तक सवरने  लगे थे.......... कब साधारण से थान के कपड़ों की रौनक लेविस और एलन सौली की हसरतो में दब रही थी ............... पर सारे बदलाव का मजमून बस इतना ही था ................. और बस इतना ही की शायद कोई पसंद कर ले  ................ साला लड़की  हमारी महबूबा तो बन न पाती लेकिन दोस्तों की भाभी ज़रूर बना दी जाती ...................... और जब तक कुछ बयां करने की हिम्मत कर पते तो शायद उनको किसी और के पहलू में पाते  ..................... कभी तो मुहब्बत इतनी अंधी हो जाती की ..............................
                     
                       ये जान कर की थामे हैं वो दामन किसी और का 
                       फिर भी उनसे बस मोहब्बत किये जाते हैं
                       तुम्हे नसीब हो सुकून से तर वो आबो हवा 
                       दफन हर आह सीने में किये जाते हैं............................................

और कुछ इस तरह ये  दबी हसरतें अल्फाजों  में बदल गयी और फिर शायरी में बदल कर खूब बही और इसी शायरियों के बीच दोस्तों की दादों ने ( कुछ सच्ची और शायद कुछ झूठी ) ये गुमान करा दिया की शायद दुनिया के हमही  इकलौते आशिक़ थे
चलो वक़्त को तो बदलना था और जब उसने करवट ली तो  जेब की जरूरतों ने उन ख्वाहिशों को दिल के पता नहीं किस कोने में दफन कर दिए था . . . . . . ........ लेकिन इतने साल बाद फिर से उसने जगा दिए वो अरमान ............... या खुदा क्या चाहते हो  कब तक इस तपिश में तपाओगे .......................... मगर इस बार मसला कुछ और था ........................... वो कहानी कुछ इन अल्फाजों से बयां होती है
                                               
                              ये ख्वाहिश थी की हो शरीक  तेरे दर्द में हमभी ...............
                              मरहम न बन सके मगर खुद जख्म ले बैठे ....................
                              देना न तुम तोहमत मुआफ़ी बख्सना हमको ..................
                              हमभी इंसान थे इंसान से फिर प्यार कर बैठे .................

खैर छोडो हमारी ज़िन्दगी की कहानी ऐसी ही है और ऐसी ही रहेगी ............. और इसको पढ़  सको तो दिल पर मत लेना और हर दम ऐसे ही मुस्कराते रहना
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हमारी कहानी तो कुछ यो ही इस शेर की तरह  है .........................................  

            आशना दर्द से होना था किसी तौर हमें.. तू न मिलता तो किसी और से बिछडे होते